Monday 29 December 2014

जहाँ इतने हैं ए दिल वहाँ एक फसाना और सही 
जीने का तेरे वादे पे एक बहाना और सही 

और है पानी ए दिल समंदर में आँखों के अभी 
आँख तो है आँख इसमें ख्वाब सुहाना और सही 

उड़ने दो परिंदे दिल के थकहार के वापस आएँगे 
कुछ रोज़ को ही जानो उसका ठिकाना और सही 

वही नज़रें वही गुलशन आइए दीद तो कर लीजे 
हम आज भी वैसे हैं चाहे ज़माना और सही

तू सौ चाहे हज़ार आयें अपनी बिसात ही क्या
लाखों में हज़ारों में बस एक दीवाना और सही

फिर से कीजे कोशिश गुनगुनाने दीजे दिल को
वही मायने हैं अब भी माना तराना और सही

दास्तान-ए-जिंदगी होने को है मुकम्मल ‘सरु’ बस
कोरे काग़ज़ पे कुछ देर लिखना-मिटाना और सही..-

-Suresh Sangwan
बदल लेती है रहगुजर कोई गिला नहीं करती
ठोकरें जहान की खाके हवाएँ गिरा नहीं करती

वज़ूद है मेरा शायद इस बात की गवाही को
दुनियाँ में सभी से तो ज़िंदगी वफ़ा नहीं करती

शब में होती है जो थोड़ी बहुत होती है उनकी
रोशनी यहाँ कद्र जुग्नुओं की ज़रा नहीं करती

ये नहीं के ना आयें गरमियाँ सरदी के बाद
देर से ही सही मगर ज़बां से फिरा नहीं करती

होती हैं तक़दीर से मोहब्बत की बरसातें
जहाँ होती है होती है रोके रुका नहीं करती

लग जाये तो लग जाये मेरे बस की बात कहाँ
अपनी और से तो में किसी का बुरा नहीं करती

हो भूले से भी किसी को इस से किसी से इसको
दिल के हक़ में 'सरु'मोहब्बत की दुआ नहीं करती

suresh sangwan(saru)


 —http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/mohabbat-ki-dua-nahin-kartisaru145-t118567.0.html
डबडबाई सी आँखों को ख़्वाब क्या दूं
चेहरा पढ़ने वालों को क़िताब क्या दूं

मुस्कुराहट और ये जलवा-ए-रुखसार
इन गुलाबों के चमन को गुलाब क्या दूं

आशना हो तुम जब हालात से मेरे
तुम ही बतलाओ तुमको जनाब क्या दूं

उठें सवाल तो बैठ के मसला हल करें
अब तन्हाई में सोचकर जवाब क्या दूं

उम्मीद ही रक्खी ना सहारा ही मिला
इस ज़माने को मैं अपना हिसाब क्या दूं

सिमटी हुई है खुद आशियाँ में काँच के
बिखरते दिल को सहारा-ए-शराब क्या दूं

ख़्याल न आया 'सरु' को रही जब जवानियाँ
मुरझा गये ज़ज़्बातों को शबाब क्या दूं

----suresh sangwan(saru)

http://www.aakaasshhh.com/inn-gulaabon-ke-chaman-ko/#more-2553

http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/inn-gulaabon-ke-chaman-kosaru147-t118608.0.html

Thursday 25 December 2014

यकीं उसकी उल्फ़त का मुझे आने तो दे
हँस   भी  लेंगे  पहले  मुस्कुराने  तो दे

तीर  क्या नज़रों  से तलवार चला जानां
जहां  तू नहीं है  जगह वो बताने तो दे

सूरज ढल जाने  का मतलब अंधेरा  नहीं
चाँद  निकलने दे तारे झिलमिलाने तो दे

अजी भूख की छोडो पहले प्यास की सुनो
ज़ख़्म  इन  हाथ के छालों को खाने तो दे

बदल डाले कब सूरत आती जाती आँधियाँ
अदाएँ  ज़रा  बहारों  को  दिखाने तो दे

तरकश  ही खाली है ना  तज़ुर्बे में कमी
लगाने हैं तीर जहाँ  वो  निशाने  तो दे

ए नये ज़माने नया सबक भी सीख लूंगी
याद हैं जो पहले से 'सरु'को भुलाने तो दे



YakeeN uski ulfat ka mujhe aane to de
Hans bhi lengeN pehle muskuraane to de

Teer kya nazroN se talwar chala janaN
JahaN tu nahiN hai jagah vo bataane to de

Sooraj dhal  jaane ka matlab andhera nahiN
Chand nikalne de tare jhilmilaane to de

Aji bhookh ki chhodo pehle pyaas ki suno
Zakhm inn haath ke chhaloN ko khane to de

Badal dale kab soorat aati jaati andhiyaN
AdayeN zaraa bahaaroN ko dikhane to de

Taekash hi khali hai na tazurbe meiN kami
Lagaane haiN teer jahaaN vo nishane to de

E naye zamaane naya sabak bhi seekh loongi
Yaad haiN jo pehle se ‘saru’ ko bhulaane to de



http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/vo-nishaane-to-desaru138-t118272.0.html
चाँद सितारों से बढ़ कर लिख 
फूलो काँटों तक चल कर लिख

महफ़िल में जो हो,जाने दे
तू तन्हाई में जम कर लिख

कौन बुरा ,क्या अच्छा है
तू बस मस्ती में भर कर लिख

बहुत होश वाले है जग में
तू दीवाना सा बन कर लिख

सूख न जाये झील प्यार की
एहसासों को भी भर कर लिख

आज युवा मन चाहे उड़ना
उसकी चाहें को भर कर लिख

समझेंगे दुनिया वाले भी
सरु तू बस मन की बन कर लिख



http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/jam-kar-likhsaru141-t118326.0.html
भूल गई हूँ अब वे दिन पचपन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले

हँसी मुझे तेरी कितनी प्यारी लगती
हर मुस्कान मुझे तेरी न्यारी लगती
और बढ़ी है अब तो हसरत जीने की
चाहूं फिर वे दिल मीठी धड़कन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले

देख खिलौने और मिठाई लाती हूँ
जाके में बाज़ार भूल सब  जाती हूँ
कान्हा की सूरत क्यूँ तुझमें दिखती है
तुझपे सदके फूल सभी उपवन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले

जीवन संध्या का इक तारा है तू ही
मुझे जान से अब तो प्यारा है तू ही
चहके महके तू ही अब इस उपवन में
बाग़  तुम्हारे  लिये लगे चंदन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले

----suresh sangwan(saru)


http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/daadi-maa-ki-zabaani-t118287.0.html
खुश्बूओं में खो रहे हैं
मुहब्बतो में जो रहे हैं

आज मिला है तू बमुश्क़िल
बस आँखों को धो रहे हैं

किसके हो तुम न जाने
हम तुम्हारे हो रहे हैं

है मुझमें मेरी अना मगर
मुद्दत से हम दो रहे हैं

मुझसे ना बरसो कटेंगे
काँटे ऐसे बो रहे हैं

खानेवाले मेहनत की
गहरी नींदें सो रहे हैं

क़रीब से जाना है तुझे
तेरे हम भी तो रहे हैं

रहते गुम सुम जो लोग 'सरु'
बोझ किसी का ढो रहे हैं


http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/ham-tumhaare-ho-rahe-hainsaru142-t118394.0.html
मर्ज़  भले  कोई   हो  ट्रीटमेंट  ज़रूरी  है
जंक  फूड  के  साथ  सप्लिमेंट  ज़रूरी है

रखिये न इसे बाँधकर ज़ोर ज़बर दस्ती से
दिल की  सेहत के लिए मूवमेंट ज़रूरी है

खिल के हँसे मुस्कुराए तो  सोचता है दिल
क्या  फूलों  को  भी  ऑर्नामेंट  ज़रूरी है

सीखने -सिखाने की देखने को  क़ाबिलियत
हर इक सबक़ के  बाद असेसमेंट ज़रूरी है

उक्ता न जाओ कहीं ज़िंदगी की दौड़ से
बीच -बीच  में  एंटरटेनमेंट  ज़रूरी  है

हैं  हथियार  मौत के मगर फिर भी या रब
अमन-चैन  की  ख़ातिर अर्मामेंट  ज़रूरी है

निकली  ज़बान से लकीर पत्थर की हो गई
नहीं वो बात अब 'सॅरू' अग्रीमेंट  ज़रूरी है





Marz bhale koi ho  treatment jaroori hai
junk food ke saath supplement jaroori hai

Rakhiye na ise bandhkar zor jabardasti se
Dil ki sehat ke liye movement jaroori hai

Khil ke hanse muskuraye to sochta hai dil
kya phooloN ko bhi ornament jaroori hai

Seekhne sikhane ki dekhne ko kabiliyat
har ik sabak ke baad assessment jaroori hai

Ukta na jao kahin zindagi ki daud se
Beech-beech mein entertainment jaroori hai

Hain hathiyaar maut ke magar fir bhi ya-Rab
Aman-cheiN ki khatir armament jaroori hai

Nikli zabaan se lakeer patthar ki ho gai
Nahin vo baat ab 'saru'agreement jaroori hai




http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/marz-bhale-koi-hosaru145-t118524.0.html

Tuesday 23 December 2014

हाथ हाथों में हम लिये साथी
दूर दुनिया से चल दिये साथी

आज है चाह किसको मंज़िल की
जाम राहों मे ही पिये साथी

जो मिले ज़ख़्म हमको दुनिया से
प्रेम धागों से वे सिये साथी

प्यार मे दर्द जो मिले हमको
हमने खुश हो सभी पिये साथी

किये वादे भी ,खायीं क़समें भी
पर निभाये भी जो किये साथी

ख़ास रस्ते थे हम जिधर निकले
और पल खूब वे जिये साथी

चल दिये दिल की राह पर ऐ 'सरू'
हम तो तेरे ही हो लिये साथी

http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/door-dunian-se-chal-saru144-t118445.0.html