भूल गई हूँ अब वे दिन पचपन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
हँसी मुझे तेरी कितनी प्यारी लगती
हर मुस्कान मुझे तेरी न्यारी लगती
और बढ़ी है अब तो हसरत जीने की
चाहूं फिर वे दिल मीठी धड़कन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
देख खिलौने और मिठाई लाती हूँ
जाके में बाज़ार भूल सब जाती हूँ
कान्हा की सूरत क्यूँ तुझमें दिखती है
तुझपे सदके फूल सभी उपवन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
जीवन संध्या का इक तारा है तू ही
मुझे जान से अब तो प्यारा है तू ही
चहके महके तू ही अब इस उपवन में
बाग़ तुम्हारे लिये लगे चंदन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
----suresh sangwan(saru)
http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/daadi-maa-ki-zabaani-t118287.0.html
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
हँसी मुझे तेरी कितनी प्यारी लगती
हर मुस्कान मुझे तेरी न्यारी लगती
और बढ़ी है अब तो हसरत जीने की
चाहूं फिर वे दिल मीठी धड़कन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
देख खिलौने और मिठाई लाती हूँ
जाके में बाज़ार भूल सब जाती हूँ
कान्हा की सूरत क्यूँ तुझमें दिखती है
तुझपे सदके फूल सभी उपवन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
जीवन संध्या का इक तारा है तू ही
मुझे जान से अब तो प्यारा है तू ही
चहके महके तू ही अब इस उपवन में
बाग़ तुम्हारे लिये लगे चंदन वाले
जीती हूँ फिर से वे दिन बचपन वाले
----suresh sangwan(saru)
http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/daadi-maa-ki-zabaani-t118287.0.html
No comments:
Post a Comment