खुश्बूओं में खो रहे हैं
मुहब्बतो में जो रहे हैं
आज मिला है तू बमुश्क़िल
बस आँखों को धो रहे हैं
किसके हो तुम न जाने
हम तुम्हारे हो रहे हैं
है मुझमें मेरी अना मगर
मुद्दत से हम दो रहे हैं
मुझसे ना बरसो कटेंगे
काँटे ऐसे बो रहे हैं
खानेवाले मेहनत की
गहरी नींदें सो रहे हैं
क़रीब से जाना है तुझे
तेरे हम भी तो रहे हैं
रहते गुम सुम जो लोग 'सरु'
बोझ किसी का ढो रहे हैं
http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/ham-tumhaare-ho-rahe-hainsaru142-t118394.0.html
मुहब्बतो में जो रहे हैं
आज मिला है तू बमुश्क़िल
बस आँखों को धो रहे हैं
किसके हो तुम न जाने
हम तुम्हारे हो रहे हैं
है मुझमें मेरी अना मगर
मुद्दत से हम दो रहे हैं
मुझसे ना बरसो कटेंगे
काँटे ऐसे बो रहे हैं
खानेवाले मेहनत की
गहरी नींदें सो रहे हैं
क़रीब से जाना है तुझे
तेरे हम भी तो रहे हैं
रहते गुम सुम जो लोग 'सरु'
बोझ किसी का ढो रहे हैं
http://www.yoindia.com/shayariadab/ghazals/ham-tumhaare-ho-rahe-hainsaru142-t118394.0.html
I like gazals
ReplyDeleteIt's nice..... You may read so many ghazals n poetry on my blog........
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