Friday 2 January 2015

महफ़िल  में  राज़दारों  की  बात  करता  है
प्यार    में   इश्तहारों  की   बात  करता है


जो   प्यालियों  के   टूटने  से   टूट   गया
कैसे   वो   सितारों   की   बात   करता  है

सर्द  हवाओं  की  गर्मी  नहीं  देखी  शायद
मौसम   के   इशारों   की   बात   करता है

ख़ुश्बूएं    नाकाम   हुई   जाती  हैं  या  रब
फूलों   में    खारों    की   बात   करता  है

बेचता  फिरता   है   खुद    ज़मीर  अपना
फिर  भी  ख़रीदारों  की   बात   करता  है

हुई   हैं  यारियाँ  कश्ती   से  तूफ़ान   की
अब  तो  कौन किनारों  की  बात  करता है

हवाएँ    उलफत   की   रोक   के  बैठा  है
वही  दिल  की  दीवारों  की  बात  करता है

काश ! के  झाँक  लेता अपनी  भी गिरेबान
हँस - हँस  के  हज़ारों की  बात   करता  है

जब  से   देखी   हैं  सरु'  की अदाएँ  उसने
नज़रों  और  नज़ारों की   बात   करता  है


http://www.yoindia.com/shayariadab/miscellaneous-shayri/sitaaron-ki-baat-karta-haisaru-t113102.0.html

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