मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
तू जन्नत की हूर है मेरी आँखों का नूर है
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
तेरी किल्कारियों ने मुझको तराने सिखा दिये
हज़ारों रंग भरे ख़्वाब आँखों को दिखा दिये
मेरी लाडली तेरा चमकना आरज़ू मेरी
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
मेरी ज़िंदगी की खुशियों का नुस्ख़ा तू ही है
हर सिम्त हर वक़्त फूलों का सिलसिला तू ही है
मेरी लाडली तेरा चहकना आरज़ू मेरी
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
हां हर चीज़ को छूकर परखना चाहती है तू
हां अपने फ़ैसलों पे ठहरना चाहती है तू
मेरी लाडली तेरा संवरना आरज़ू मेरी
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
तूने ही जज़्बातों का साज़ बनाया है मुझे
तूने ही काबिल-ए-एजाज़ बनाया है मुझे
मेरी लाडली तेरा निखरना आरज़ू मेरी
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
नये ज़माने की नई रोशनी बनना है तुझे
आँधियों में ही दीया बन के जलना है तुझे
मेरी लाडली तेरा उभरना आरज़ू मेरी
मेरी लाडली तेरा महकना आरज़ू मेरी
I love writing poems and ghazals ! I am basically a thinker and love creativity ! चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये ज़मीं का आसमाँ से कभी दिल बदलकर देखा जाये
Monday 5 January 2015
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