तू आये बहार
आये चमनज़ार चल
के आये
छोड़े ना तेरा
साथ जो आ
जाये मौत भी
नादां जहाँ के
लोग हैं बेकार
चल के आये
मुमकिन है मेरी
आँख को हो
जाय तेरी दीद
इस रास्ते पे इसलिए
सौ बार चल
के आये
तेरी निगाह-ए-नाज़
में इकरार है
मगर
कहने को अपने
लब से तू
इक बार चल
के आये
सुनते थे तेरी
बज़्म में मिलती
हैं राहतें
अपने लिये जो
आये तो आज़ार
चल के आये
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