Monday 5 January 2015

तू    सोए  तो   हो  जाएं   सवेरे मेरी   अना
आ  जाए  मुस्कान   लब  पे  मेरे  मेरी  अना

मुद्दत  से  तमन्ना  है  सलाम   भेजूं   उसको
बता  तो   क्या  मिजाज़  हैं तेरे   मेरी  अना

हर मोड़  पे  मिले  है  ज़रा दिखा तो  दे मुझे
हैं   यहाँ  वहाँ   कहाँ  कहाँ  डेरे  मेरी  अना

टिकने  ही  नहीं  देती  मुझको उस जगहा  पर
जहाँ  कहीं  भी  तेरे    बसेरे   हैं  मेरी   अना

गर  आश्ना  नहीं   तो  तुझे   बतला  दूं हासिल
तन्हाइयों   के   हैं   बस   घेरे   मेरी    अना

दिल  की  नज़र  से  देख  मुझे तन्हा  ना  छोड़
यहाँ    चारों    तरफ़ हैं अंधेरे    मेरी    अना

वो तो  हाय तुक्का  था  जो तीर  हो गया 'सरु'
आ   होश  में  वक़्त  के  हैं  फेरे  मेरी  अना

No comments:

Post a Comment