Thursday 1 January 2015

छोड़ो ये बेकार की बातें
क्यूँ करें तक़रार की बातें

तुझे मंज़िल भला मिलेगी कैसे
जो सुनी सौ-हज़ार की बातें

बड़ी मुख़्तसार है ज़िंदगी हाय
आओ करें प्यार की बातें

सुकून--दिल दर्द की दवा थी
वो चैन--क़रार की बातें

लुत्फ़--ज़ीस्त है अगर देखो
याद रहीं इंतेज़ार की बातें

हँसी में उड़ाकर ना देखो
यूँ अपने बीमार की बातें

आते हैं ख्वाबों में करने
'सॅरू'से वो दीदार की बातें

No comments:

Post a Comment