उठा दो जहाँ
पलकें मौसम बहारों
का मिले
उजालों की मंज़िल
आप सच की
इबारत आप
'सरु' को भी रब्बा पता
उन गलियारों का
मिले
तक़दीर से साथ
ऐसे रहगुजारों का
मिले
रहेगा मुंतज़िर तेरा पत्ता
पत्ता इस चमन
का
हमेशा की तरहा
कल भी हाथ
सहारों का मिले
टकराती हैं लहरों
से कश्ती-ए-ज़िंदगी मगर
आप की तरह
हमें भी साथ
किनारों का
मिले
उतर गई आप की ख़ुश्बू
हर कली हर फूल में
खुदा करे की आपको भी
साथ हज़ारों का मिले
नई रुत नये साज़ नया
मंज़र मुबारक हो तुम्हें
समाँ ज़िंदगी भर खूबसूरत
नज़ारों का मिले
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